योग इस अनमोल काया को सहेजने का सर्वोत्तम उपाय: शशि दीप
पिछले दिनों जिस प्रकार पूरे देश में मरणांतक कोरोना ने अपना भयावह रूप दिखाया और ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए हाहाकार मचा हुआ था, संभवतः बहुत से लोगों को, योग को गंभीरता से लेने पर विवश कर दिया। मैं स्वयं, कोरोना काल से पूर्व, योग को नैमित्तिक मानती थी, परन्तु अब प्रतिदिन की एक प्राथमिकता के रूप में लेने लगी। इसके चमत्कारी प्रभावों को अनुभूत करते हुए बेहद संतुष्टि हो रही है।
योग, शरीर, मन और आत्मा के सम्मिलन का अद्भुत माध्यम है। आजकल ज़िन्दगी में जिस तरह भागमभाग मची है, तनाव की समस्या आम बात हो गयी है जिसका शरीर और मन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। तनाव के कारण अनिद्रा, गर्दन दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द, हृदय की धड़कन तेज होना, हथेलियों में पसीने आना, असंतोष, क्रोध और कभी-कभी अत्यंत संवेदनशील होना जैसी गंभीर समस्याएं बढ़ती जा रही है। ऐसे में योग गुरुओं से प्रशिक्षण लेकर अपने-अपने शरीर के वर्तमान स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योगासनों के द्वारा लाभान्वित हो सकते हैं। योग से रक्त संचार में संतुलन बना रहता है, मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार होता है, पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा व आंतरिक अंग मज़बूत होते जाते हैं। अस्थमा, मधुमेह जैसी बीमारी जो अनियमित जीवनशैली के परिणामस्वरूप होता है, नियंत्रित रहता है। शक्ति और सहनशक्ति, एकाग्रता तथा मन और विचार नियंत्रण में मदद मिलता है।
योग के अनेकों लाभ के बाबजूद, इसके प्रति रुझान विरले लोगों में ही दिखाई पड़ता है जबकि आज योगाभ्यास से लगभग सम्पूर्ण विश्व परिचित भी है। यह एक चिंताजनक सच्चाई है। जब तक शरीर स्वस्थ नहीं रहेगा मनुष्य का मन विचलित रहेगा।
ऐसे में कुछ समय निकालकर प्रतिदिन योगाभ्यास करने से, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, आध्यात्मिक स्वास्थ्य उत्तम रखते हुए, ईश्वर प्रदत्त इस अनमोल काया को जीवनपर्यन्त सहेजा जा सकता है जो कि विधाता के प्रति असली कृतज्ञता है।