कुछ दिनों पहले 20 फरवरी 2021 को मेरे पिताजी का स्वर्गवास हो गया जो उम्र के उस दहलीज पर थे जहां उनका शरीर और स्वास्थ्य दोनों ही कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने में असमर्थ साबित हुआ | अपने पिताजी को कैंसर की लड़ाई में खो देने के बाद कहीं ना कहीं दिल में एक भावना जागी कि क्यों ना अपनी ओर से एक छोटा सा योगदान किया जाए और किसी कैंसर से लड़ते हुए / लड़ती हुई महिला के आत्मसम्मान को उनके खोए हुए बालों को लौटा कर  बढ़ाया जाए I

अपने पिता की सेवा का मौका मुझे नहीं मिला पर पिताजी की तरह कैंसर से लड़ते हुए किसी एक इंसान की यदि मैं किसी भी रूप में मदद कर सकूं तो,अपनी आत्मा को कहीं ना सुकून की अनुभूति करा सकूंगी||

कैंसर जैसी बीमारी से हम सभी भलीभांति परिचित हैं और हम यह भी जानते हैं कि जब कैंसर जैसी बीमारी हो जाती है,  तब कीमोथेरेपी में और बाकी कई इलाज के , दवाइयों के दौरान ..मरीज को अपने बाल खोने पढ़ते हैं और धीरे-धीरे उनके सारे बाल गिर जाते हैं ||जो वापस नहीं आ सकते I

पिताजी के चले जाने के बाद उनके दाह संस्कार और 13 वी पूजन में  परिवार के बेटे को अपने बालों का योगदान करना होता है , यह हमारे हिंदू धर्म की प्रथा रही है |

पर कहीं ना कहीं मेरे मन में यह इच्छा जागी कि मैं भी अपने बालों का योगदान करूं पर उस दिन नहीं जिस दिन यह संस्कार के रूप में होता है,  परंतु एक अच्छे कारण के साथ उसे योगदान भी कर लूं और किसी एक कैंसर पीड़ित महिला की शक्ति के रूप में यदि मैं अपने बालों से बनाई हुई बिग उसके सिर पर (बाल )लगा सकूं तो शायद इसके फलस्वरूप पिताजी की आत्मा को शांति प्राप्त करा सकूं और साथ ही खुद के अंदर जागी हुई इस भावना को सही रूप में बाहर ला सकूं||  इसी इच्छा को प्रबल रूप से पूरी करने  की मंशा लेकर मैंने अपने घर में अपने पति श्री सुनील पाल (हास्य कलाकार/ स्टैंड अप कॉमेडियन/ एक्टर )को जताई और साथ-साथ अपने इस संकल्प को अपने बच्चों के सामने जाहिर किया जो कि मुश्किल तो था पर नामुमकिन नहीं था और मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि सबसे पहले इस पर अपनी सहमति और साथ दोनों देने के लिए मेरे पति ने भी और मेरे बच्चों ने भी मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया और उन्हें इस बात का गर्व है यह भी मुझे महसूस कराया |

मेरी इस प्रबल इच्छा को सरल रूप देने के लिए मैंने फेसबुक के जरिए और अपने कुछ मित्र रिश्तेदारों के जरिए एक संस्था के बारे में जानकारी ली जो कि हैदराबाद में शिवा यादव नामक युवक द्वारा चलाई जा रही है |

शिवा खुद भी एक हेयर स्टाइलिस्ट है और उनका खुद ऐसा मानना है कि मैं यदि डॉक्टर होता , तो कैंसर की दवा बनाता ….क्योंकि हेयर स्टाइलिश हू… तो कहीं ना कहीं डोनेशन द्वारा प्राप्त हुए बालों को बिग बनाकर मैं कैंसर पीड़ितों की मदद करता हूं, और उनका खोया हुआ सम्मान और आत्मविश्वास वापस लाने के लिए कोशिश करता हूं I औरत का असली गहना उसके  केश होते हैं || किसी बीमारी वर्ष जब वह अपने बालों को खो देती है तो उनका मनोबल पूरी तरह टूट जाता है, इसी मनोबल को फिर से एक बार हौसला देने के लिए मैंने एक छोटा सा संकल्प किया और शिवा और शिवा यादव की जरिए इस संकल्प को पूरा किया जिसमें मेरे पति और मेरे बच्चों ने दिल खोलकर के साथ दिया और इस संकल्प का स्वागत किया I

मेरा जन्म मेरी माता जी के लिए बहुत ज्यादा खुशी का कारण न बन सका तो उनका हमेशा से यही कहना था कि तुम्हारा जन्म इस घर में अतिरिक्त है वह अतिरिक्त शब्द मेरे लिए आशीर्वाद बन गया और आज हर रूप में , हर कार्य में , शिक्षा में , संपन्नता में… मुझे ईश्वर ने पूरी तरह से अतिरिक्त समृद्धि दी है I

मेरी इस इच्छा को पूरा करते हुए मैंने लोगों तक अपनी बात पहुंचाई और यही कोशिश रहेगी कि इसे समाज के उन दायरों में ना बांधे जहां हम रूढ़ीवादी परंपराओं के जरिए औरतों को बाल निकालने से मना करते हैं I

  

मेरे इस कार्य को कई लोगों ने सराहा कुछ लोगों ने इसकी प्रशंसा की और कुछ लोगों के उल्टे सीधे विचार भी सुनने को मिले | पर मेरी यही इच्छा है कि ऐसे कार्य को देखकर कुछ और लोग मोटिवेट हो और इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए और कम से कम किसी एक चेहरे पर मुस्कुराहट खिलाए…

8th March 2021 , अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं एक महिला होने के नाते किसी और महिला के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए यह प्रयत्न कर रही हूं |आशा करती हूं कि मेरा यह प्रयत्न सिद्ध होगा और इसकी सफलता कहीं ना कहीं और लोगों के लिए प्रेरणा की जोत जगायगी |

इसके अलावा लोगों की मानसिकता बदलेगी और हम समाज में मानवता ही परमो धर्म है ऐसी धारणा को हम आगे बढ़ा सकेंगे I

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